जजों की नियुक्ति, तबादले पर फैसले व्यवस्था के तहत, इसमें दखल ठीक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

 नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जजों की नियुक्ति और तबादले पर फैसला न्यायिक व्यवस्था के तहत किया जाता है। अत: इसमें किसी तरह का दखल देना ठीक नहीं। जस्टिस अकील कुरैशी के तबादले से जुड़ी गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी की। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना आने तक इस याचिका पर सुनवाई रोक दी है।

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, जजों की नियुक्ति और तबादले न्यायिक व्यवस्था की बुनियादी प्रक्रिया हैं। इसमें न्यायिक समीक्षा गंभीर रूप से प्रतिबंधित है। इसलिए किसी तरह का हस्तक्षेप ठीक नहीं। गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम की सिफारिशें मानने का निर्देश देने की मांग की है।

दरअसल, सीजेआई की अध्यक्षता में कॉलेजियम ने पहले जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की अनुशंसा की थी। सरकार की आपत्ति के बाद आदेश में बदलाव कर उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश की गई है। सीजेआई, जस्टिस एसए बोबडे  और एसए नजीर की पीठ ने एसोसिएशन की ओर से पेश वकील अरविंद दत्तार से कहा, याचिका पर सुनवाई केंद्र सरकार द्वारा अकील को त्रिपुरा हाईकोर्ट भेजने की कॉलेजियम की सिफारिश पर अधिसूचना जारी करने के बाद की जाएगी।

केंद्र ने भी किया न्यायिक व्यवस्था पर हमला

गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यतिन ओझा ने कहा, केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद कुरैशी की जगह जस्टिस रविशंकर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता व न्यायिक व्यवस्था पर हमला किया है। केंद्र सरकार का यह कदम उच्चतम व उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति व तबादले के मामले में न्यायपालिका की सर्वोच्चता को कम करता है।

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